चक्रवर्ती आयुष "ज़ानिब"
JUNG HI JINDAGI HAI 🎯🎯🎯
मंगलवार, 13 अगस्त 2024
कविता - आज़ादी की गाथा
मंगलवार, 5 मार्च 2024
पिता
धरा पर जिसने हमको लाया...
पकड़ के उंगली चलना सिखाया..
पुरुष नहीं वह देव हैं...
चरणों में जिनके संसार समाया..
बिखरे ना कभी भविष्य हमारा.......
संस्कारों का अद्भुत ज्ञान दिया.....
हर कदम पर अपने सफल रहे....
ऐसा दृढ़ता का वरदान दिया...
रोए ना हम भोजन खातिर...
खुद सूखा भोजन है खाया....
पुरुष नहीं वह देव हैं.....
चरणों में जिसके संसार समाया....
हर सुख को हम प्राप्त करें..
अथक परिश्रम वो करते हैं...
हर बाधा हमसे दूर रहे...
ऐसी दुआ हमेशा करते हैं......
हारे ना हम युद्ध कभी....
ऐसा कौशल है सिखाया.....
पुरुष नहीं वह देव हैं.....
चरणों में जिसके संसार समाया...
देना ना कभी कष्ट पिता को....
विनम्र निवेदन करता हूं...
स्वर्ग का सुख मुझको मिलता. ...
जब चरणों में उनके रहता हूं......
सत्कर्मों के गाथा को जिसके ...
त्रिदेवों ने भी है गाया.......
पुरुष नहीं वो देव हैं...
चरणों में जिसके संसार समाया |
Chakraverti @yush
Chaktaverti @yush
प्रेम प्रसंग
माँ
प्रियतम
कविता - आज़ादी की गाथा
शीर्षक - आजादी की गाथा स्वतंत्रता के सूरज की, रश्मियाँ बिखरी हैं चहुँ ओर, वीरों के बलिदान से सजी, ये धरती गाती है गीत और। ...